________________
संयम
३४६
सभी साधुओ द्वारा मान्य ऐसा जो संयम धर्म है, वह पाप का नाश करने वाला है । इसी सयम धर्म की उत्कृष्ट आराधना कर अनेक भव्य जीव संसार सागर से पार हुए हैं और अनेक ने देवयोनि प्राप्त की है ।
३४७
सयम वालू-रेती के कौर की तरह नीरस है ।
३४८
सयम से जीव आश्रव - पाप का निरोध करता है ।
३४६
जो जीवो को नही जानता है, वह अजीवो को भी नही जानता जीव और अजीव दोनो को नही जानने वाला सयम को कैसे जान सकता है |
३५०
जो जीवो और अजीवो को भी जानता है, वह जीव और अजीव दोनो को जानने वाला सयम को भी भली-भाँति से जान लेता है ।
३५१
असयम से निवृत्ति और सयम मे प्रवृत्ति करनी चाहिए ।