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किस को ?
जिन की पवित्र छत्र-छाया तले रहकर जीवन मे जैन-साधु बनने के भाव परिपक्व हुए, उन्हें पोषण मिला और जिन के मंगलमय अनुग्रह से ये पक्तियां लिखने की क्षमता प्राप्त हुई
उन्ही हामहिम, प्रपितामह, मगलमूर्ति, स्वनामधन्य, स्थविरपद-विभूषित परम श्रद्धेय
परम पूज्य श्री जयरामदास जी महाराज
पावन चरणों में सभक्ति सविनय समर्पित
--जानमुनि