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विशाल रेगिस्तान मे अमृत का एक सुमधुर झरना है। शरीर की सुदरता, नीरोगता, सुखसामग्री और संपत्ति आदि ये सब अहिंसा के ही फल होते है। अहिंसा ही सर्वोत्तम आत्मविकास रूप अवस्था है। प्रश्न व्याकरण सूत्र में अहिंसा को आठ उपमाए दी गई हैं। वे इस प्रकार है -
जिस प्रकार भयभीत प्राणियों के लिए शरण का आधार होता है, इसी प्रकार संसार के दुःखों से भयभीत प्राणियो के लिए अहिंसा आधारभूत है।
जिस प्रकार पक्षियों को गमन के लिए श्राकाश का आधार है, उसी प्रकार भव्य जीवों के लिए अहिंसा का आधार होता है।
प्यासे मनुष्य को जैसे जल का आधार होता है, उसी प्रकार सखों की प्यास से पीड़ित मनुष्यों के लिए अहिंसा का आधार है।
भूखे मनुष्य को जैसे भोजन का आधार होता है, उसी प्रकार अध्यात्मविद्या की भूख से व्याकुल मनुष्य को अहिंसा का आधार है।
। समुद्र में डूबते हुए प्राणी को जिस प्रकार जहाज का या नौका का आधार होता है, उसी प्रकार संसार रूपी समुद्र में चक्कर खाते हुए भव्य प्राणियों को अहिंसा का आधार है।
जिस प्रकार पशु को खूटे का और रोगी को औषधि का आधार होता है उसी प्रकार भव्य प्राणियो को अहिंसा का आधार है।
जंगल में मार्ग भूले हुए पथिक को जिस प्रकार किपी के साथ का आधार होता है उसी प्रकार ससार मे कर्मों के वशीभूत हो कर रूप-मारोग्य-मैश्वर्य-महिंसा-फलम-श्नुते । (वृहस्पति स्मृति अहिंसा हि परम पदम् । (मागवत स्कध)
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