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________________ (१४९) शुभ फलों का भुगतान कराते रहते है। और यही शक्ति जीव को एक योनि से दूसरो योनि मे ले जाती है। जैसे चुम्बक पत्थर की आकर्षण शक्ति द्वारा खिच कर लोहा उस की ओर चला आता है, वैसे ही जीव इस कार्मणशक्ति के द्वारा आकर्षित हो कर इस वर्तमान शरीर को छोड कर दूसरी योनि मे उत्पन्न होता है । इस तथ्य को एक उदाहरण द्वारा समझ लीजिए। ___ कल्पना करो। चुम्बक पत्थर के सामने लोहा पडा है और उस पर एक मक्खी बैठी है। जिस समय चुम्बक के आकर्षण से लोहा उस की ओर आकर्षित होता है तो लोहे के साथ-साथ उस के ऊपर बैठी मक्खी भी आकर्षित होती चली जाती है। चुम्बक से खिंचा लोहा जिधर को जाता है तो उधर को मक्खी भी खिसकती चली जाती है। जैसे मक्खी को आकर्षित करने वाला तत्त्व परम्परा से वह चुम्बक पत्थर ही ठहरता है, ठीक वैसे ही कार्मणशरीर से युक्त आत्मा को जिस स्थान पर उत्पन्न होना होता है, उस स्थान मे स्थित परमाणु उसे आकर्षित कर लेते हैं, उत्पत्तिस्थान के परमाणुओ का तथा आत्मस्थ कर्मपरमाणुओं का रेडियो की भाति ऐसा विचित्र और अवाच्य आकर्षण होता है कि जिस के प्रभाव से आत्मा स्वत ही अपने उत्पत्तिस्थान मे पहुच जाती है। जैनदर्शन की दृष्टि मे आत्मा को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुचाने वाली शक्ति केवल कर्माणुओ और उत्पत्तिस्थान मे अवस्थित परमाणुओ का पारस्परिक आकर्षण ही है। जिस प्रकार रेडियो स्टेशन से प्रसारित हुए भाषा-पुद्गल रेडियो के द्वारा आकर्षित कर लिए जाते है। ठीक वैसे ही मूलस्थान से निकला हुआ कर्मवद्ध आत्मा उत्पत्तिस्थान में स्थित परमाणुओ द्वारा आकर्षित कर लिया
SR No.010169
Book TitleBhagavana Mahavira ke Panch Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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