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१५. गाथा
अप्पाणमेव
जुज्झाहि
किं ते जुज्झेण बज्झओ ।
अप्पाणमेव
अर्थ
३०
जइत्ता
अप्पाणं,
i
सुहमे हए ॥
उत्त० अ० ९ गा० ३५
हे पुरुष ! สี अपनी आत्मा के साथ ही युद्ध कर । बाहर के शत्रुओं से लड़ने से क्या लाभ ? आत्मा के द्वारा ही आत्मा को जीतने से सच्चा सुख मिलता है ।