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४. गाया
माणुस्सं विग्गहं लद्ध
सुई धम्मस्स दुल्लहा। जं सोच्चा पडिवज्जंति,
तवं खन्तिमहिंसियं ॥
उत्त० अ० ३ गा० ८
अर्थ
___ यदि किसी तरह मनुष्य जन्म मिल भी जाए तो भी धर्म शास्त्र का श्रवण अति दुर्लभ है। धर्म शास्त्र वस्तुतः वही है, जिसे सुनकर प्राणी तप-क्षमा तथा अहिंसा को ग्रहण करते हैं।