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________________ १४८ हस्तगतप्राप्त । शास्त्रसम्मत-शास्त्र द्वारा माना हुआ। कुशाग्र-कुशा का अग्र भाग । क्षणभंगुर शीघ्र नष्ट होने वाला। उपघात-हिंसा। असजीव-वे जीव जिन का दुख सुख व्यक्त होता है। द्वीन्द्रिय जीवों से लेकर पंचेन्द्रिय जीवों तक सव जीव यस कहलाते हैं। ये सव जीव हिलते-चलते हुए नजर आते हैं। स्थावरजीव=वे जीव जिनका दुख-सुख अव्यक्त होता है। पृथिवी, जल, अग्नि, वायु तथा वनस्पति ये सब जीव स्थावर कहे जाते हैं। ये हिलते चलते हुए दृष्टिगोचर नहीं होते। चीवर वस्त्र । संघाटिका गोदड़ी। उद्भूत = कट । शुः =उज्जवल । दृष्ट=देखा हुआ। परिमित-थोड़ा। असन्दिग्ध-सन्देह रहित । अनुभूतअनुभव में आया हुआ । वाचालता=अधिक बोलना। उद्विग्नकारक-मन को व्याकुलता देने वाला । जवं लोक-ऊपर का लोक-स्वर्ग । तिवंग लोक मयं लोक । मध्यलोक ।
SR No.010167
Book TitleBhagavana Mahavira ke Manohar Updesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoharmuni
PublisherLilam Pranlal Sanghvi Charitable Trust
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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