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2. धर्म है मेरा सरोवर,
ब्रह्मचर्य शान्ति घाट है । दोष रहित जीव में,
शुभ भाव ही सम्राट् है ।।
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इस जलाशय में नहा कर,
आत्मा निर्मल हुआ । में परम शीतल हो गया,
जर दूर सय फालिमल हुआ ।
३. पमं ऐ तो सरोघर में
होनू निगदिन नहा ।
रिलिद तसे पा॥