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१. इस जीव अग्नि - कुण्ड में,
तू तप को अग्नि ले जला । इस मन, बचन व फाया के,
त्रियोग को तू लव बना ।।
. इस शरीर • फारियांग में,
तू प.र्म - ईन्धन फो जला । संयम के शांति - पाठ से,
तू आत्मा को शुद्ध बना ।।
३. क. पाप वपन दिया,
जिगर में जाम-पासा। * महावीर ने पह, मुययन,
दिलित न पहा ।