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१. फ्रोधी नर, अभिमानो के.
न वचन ययार्य होते हैं । इन पर जो विश्वास करे,
वे आंखें भर - मर रोते हैं । २. फपटी नर और लोभी के,
न निकट सत्य भी माता है । जो नर इन पर विश्वास करे,
यह जीवन भर दुःप पाता है ।। ३. जहां राग द्वेष फा शासन हो,
यहां सत्य फभी न बात करे । ऐसे लोगों के वचनों पर,
न सुन पानी विश्वास करे ।। ४. जो वचन हास्य में यह जाये,
या मय फा जिस में पास रहे । इन चचल दुल वचनों में,
न फमो सत्य - नुवास रहे ।। ५. जो पचन पल्पना से निकले,
हो जिसमें हिंसा माद मरा । ऐसे पचनों को मागम ने.
नहीं रभो भी सत्य रहा ।। १. जो हितमय हो, मंगलमय हो.
यही पचन हैमन्य सदा । * भादौर में रह सुदान,
दिर गिर गौतन से कहा !!