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५९. गाया
अर्थ
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जे य कन्ते पिए भोए
लद्धे वि पिट्ठीकुव्वइ ।
साहीणे चयइ भोए से हु चाइ त्ति बुच्चइ ॥
पर भी उन से मुंह विषयों को भी नहीं त्यागी कहा जाता है ।
दश० अ० २ गा० ३
जो प्रिय और कमनीय भोगों के उपलब्ध होने मोड़ लेता है और जो हस्तगत भोगता । वस्तुतः वही सच्चा