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१. संसार सागर में जरा
और एरण का प्रवाह चले । फर्म के परवश हुए,
है जोव इस में रह रहे ।।
२ ससार को हर चीज,
साधक के लिए निस्तार है। इफ धर्म हो है होप,
उत्तम शरण व आधार है ।।
६. पूरते प्राणो फो जग में,
। महारा धर्म हा। ★ महायोर में पाचन,
प्रिय मिट पहा :!