________________
१०९
१. इस तन के यौवन-रूप पर,
जव तक बुढापा न चढ़े । इस स्वस्य-सुन्दर देह में,
जब तक व्याधि न बढ़े।
२. इन्द्रियों को शक्ति भी,
यह हीन न जब तक घने । तव तलफ चाहिये पुरुष को,
धर्म का साधन परे ।
३
कर मोदन एक छः :.
जाधिोरा वा । महावीर मे पर सुशासन,
मि लिप नाममा ..
*