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१. चीवर के धारण करने से,
साधक को ज्ञान नहीं होता। मृगचर्म धरे चाहे नग्न रहे,
उस का कल्याण नहीं होता ।।
२. चाहे जटाजूट रखे सिर पर,
चाहे गुदड़ी में काटे जीवन । चाहे लोच करे निज हायों से, __ चाहे करे सिर का मुण्डन ।।
३. ये बाहर के साधन सभी,
ऊँचा उठा सकते नहीं । चरित होन को दुर्गति से,
ये बचा सकते नहीं ॥
४. निर्माण की चावो है,
साधक के चरित को शुद्धता ।। ★ महावीर ने यह सुवचन,
प्रिय शिष्य गौतम से कहा ।।