________________
जीवन और कला (मोह)
१८७
६५७ जिस प्रकार सग्राम मे सेनापति के मर जाने पर सारी सेना भाग जाती है, उसी प्रकार एक मोहकर्म के क्षय होने पर, सभी कर्म नष्ट हो जाते
६५८ अज्ञानी जीव मोह से आवृत होते हैं ।
मोह से जीव बार वार जन्म-मरण के आवर्तन मे फंसता है।
६६० जिस प्रकार अग्नि इन्धन के अभाव मे धूमरहित होकर क्रमश, विनाश को प्राप्त होती है उसी प्रकार मोहकर्म के क्षय होने पर अवशेष कर्म भी नष्ट हो जाते हैं।
मोहासक्त अज्ञानी साधक विपत्ति आने पर धर्म के प्रति अवज्ञा करते हुये पुनः ससार की ओर लौट पडते हैं।