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जीवन और कला (क्रोध)
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क्रोध उत्पन्न होने के चार कारण१-क्षेत्र-नरकादि आश्रित । २-वस्तु-घर अथवा सचित्तअचित्त मिश्र वस्तु आश्रित । ३-शरीर-कुरूपादि आश्रित । ४-उपधि-उपकरण आश्रित ।
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क्रोध के चार प्रकार१-आत्म-प्रतिष्ठित -अपनी भूल पर होनेवाला । २-पर-प्रतिष्ठित-दूसरे के निमित्त से होनेवाला। ३-तदुभय-प्रतिष्ठित-दोनो के निमित्त से होनेवाला । ४-अप्रतिष्ठित-निमित्त के विना उत्पन्न होनेवाला ।
आत्मार्थी साधक को क्रोध-मान नही करना चाहिए।
६१७ जिसके हृदय मे क्रोध है, उसके हृदय मे मान भी अवश्य है।