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________________ - और म० बुद्ध ] [ २५७ और वह उज्जैनीकी वेश्या बतलाई गई है । महाराज श्रेणिककेऔरस से अभयकुमारका जन्म हुआ बतलाया गया है । उपरान्त कहा है कि जब निगन्थ - नातपुत्तके उकसानेपर अभयकुमारने म० बुद्धसे प्रश्न किये थे और उनका यथार्थ उत्तर पाया था, तब वे बौद्ध हो गए थे । बौद्ध होनेपर उन्हीके उपदेशसे उनकी माताने बौद्धधर्म में श्रद्धान ग्रहण किया था । इस विवरण में कितना तथ्य है, यह हम पहिले ही देख चुके है। सचमुच अभयकुमार जैन थे, इसी कारण उनका जन्म वेश्याके गर्भ से हुआ बतलाया गया है । वरन् हम जानते हैं कि वे वेणातट नगरके एक श्रेष्ठीकी कन्या थी । अगाड़ी मद्दगणराज्यकी राजधानी सागलके को सियवशके ब्राह्मणकी पुत्री भद्दाका विवरण है।' उसका पालनपोषण बडे लाड़चावसे हुआ था और उसका विवाह मगधके महातित्थ नामक ग्रामके राजकुमार पिप्पलिसे हुआ था । जब पिप्पलि साधु हो गया तब उसने भी अपनी सम्पदा अपने सम्बंधियोको देकर साधु अवस्था धारण कर ली । कहा गया है कि वह पांच वर्ष तक श्रावस्तीके जेतवनमें स्थित 'तित्थिय आराम' में रही और अन्त में 'पजापती गोतमी' ने उनको बौद्धधर्ममे दीक्षित किया । इसमें स्पष्ट रीतिसे नहीं कहा गया है कि वह पांच वर्ष तक किस आम्नायकी साधु संप्रदायका पालन करती रही थी. किंतु तित्थिय आराममे वह रही थी, इससे संभव है कि वह प्राचीन जैनसंघमे सम्मिलित रही हो, क्योकि हम देख चुके हैं कि 'तित्थिय' शब्दका विशेष प्रयोग प्राचीन जैनसाधुओके लिये बौद्धशास्त्रोमे किया गया है । अस्तु; १. Psalms of the Sisters P. 48. ૧૭
SR No.010165
Book TitleBhagavana Mahavira aur Mahatma Buddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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