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[३२] सत्यभामा पौर मामा-इनदोनों शब्दों का एक ही प्रचं है। इसी प्रकार मधुकुक्कुट और कुक्कुट भी समानार्थ हैं।
कुक्कुट = घास का उल्का, माग की चिंगारी, शूद्र और निषादण की वर्णसंकर प्रजा।
'-(जै० स० प्र०व० ४५०७ २०४३) कुक्कुट = (१) कोषंडे (२) कुरडु (३) सांवरी। इसके अतिरिक्त कुक्कुट पादप, कुक्कुट पादी, कुक्कुट पुट, कुक्कुट पेरक, कुक्कुट मंजरी, कुक्कुट मर्दका, कुक्कुट मस्तक, कुक्कुट शिख, कुक्कुटा, कुक्कुटांड, कुक्कुटा-भकुक्कुटी, कुक्कुटोरग मादि वैचक शब्द है।
-( निघण्टु रत्नाकर, जै० स० प्र० क० ४३ ) कुक्कुट - मुर्गा, वतकमुर्गा ।
उपरोक्त शब्दों से स्पष्ट है कि 'कुक्कुट' शब्द वनस्पति में बहु व्यापक है।
वैवक ग्रन्थों में कुक्कुट वनस्पति यानि 'चउपत्तिया भाजी' तथा 'विजोरा' के गुण दोष का वर्णन निम्न प्रकार हुमा है।
(१) चउपत्तिया भाजीमुनिपतो हिमो नाही, मोह दोष पायावहो ॥९॥ परिवाही नः स्वादः पायो मा बीपकः ॥
यो पो सात साल परत ॥३२॥ पति सुनिषण्ण शीतल, विपिनासकदाहशामक, सुपाच्य, दीपक और ज्वरक्षामक है।
-(भावमित्र कत भावप्रकाश निषष्ट्र, शाक वर्ग)