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________________ [१५] इन पाठों से भगवान् महावीर के प्रादर्श अहिंसामय जीवन का और उनके द्वारा प्रदत्त अहिंसा के उपदेश का पूरा पूरा परिचय मिल जाता है । ऐसी स्थिति में उनको मांसा हारी मानना, कहना व लिखना मन का, वाणी का तथा लेखनी का दुरउपयोग करना है । ५. मौषष प्रदान करने वाली स्त्री का व्यवहारिक जीवन सिंह मुनि उस पौषष को किमो कसाई के यहां से प्रषवा यज्ञ-स्थल से नहीं लाये थे। वह उसे एक जैन श्राविका के घर से लाये थे जिसका नाम था रेवती । जैनागम में उम समय रेवती नाम की दो स्त्रियों का उल्लेख हुमा है। (१) एक रेवतो थी राजगृही के महाशतक की स्त्री जिसके बारे में कहा गया। "तएणं सा रेवइ गाहावइणी मंतोमत्तरस्म मलमएणं वाहिणा अभिभुमा अट्ट दुहट्ट वसट्टा काल मामे कालं किच्चा इमी से रयणप्पभाए पुढवीए लोलु एच्चुए नरए चउरासीई वासहठिइएमु नेरइएसु नेनडएताए उववण्णा" । -(श्री उपासक दांग सूत्र) (२) दूसरी रेवती थी मेंढिक ग्राम निवासिनी जैन श्राविका जिसके सम्बन्ध में इस प्रकार का वर्णन है । "समणस्य भगवनो महावीरस्स सुलसा रेवइ पामुक्खाणं समगोवासियाणं तिन्नी सय साहस्सीमो अट्ठारस सहस्सा उस्फोसिय सापोवासिय संपया हत्था ।" -(श्री कल्प सूत्र वीर परित्र)
SR No.010163
Book TitleBhagavana Mahavir aur Aushdh Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshanvijay
PublisherBhikhabhai Kothari
Publication Year1957
Total Pages49
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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