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(२) प्राकृत और संस्कृत भाषा के अनेकार्य
प्राकृत प्रौर संस्कृत भाषा में वनस्पतियों के कई ऐसे नाम है जिनसे सामान्यतः विभिन्न प्राणियों का बोध होता है । जैसे...
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बिल्ली ( गा० १६ ), ऐरावण (२१), गयमारिणी (२२), पचागुली (२६), गोवाली (२६), बिल्ली (३७), मडुक्की (३८), लोहिणी ( प्रस्सकण्ण, सीह कन्नी, सिउडि, मुमुठि) (४३), विरामी (४४), चण्डी (४६) भंगी (४७) ( पन्नवणा सूत्र पद १ सू० २३-२४ ) प्रम्म कर्णी, सीह कण्णी, सीऊ ठि, मूसुठि ।
( जीवाभिगम सूत्र प्रति ० १ सू०२१२७) ऐरावण = लकुचफल । मडुकी (गु० ) कोली । रावण = तदुक फल | पतंग (हिन्दी) प्रहुप्रा ( गु० महुड़ा) । तापसप्रिया = प्रगूर - दाख । कच्छप = नदिजीणी दरखत । गेजिह्वा = गोभी | मांसल = तरबूज ।
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बिम्बि= कडूरी का साग । चतुष्पदी = भिन्डी
(जै० स० प्र० क्र० ४३ ) मार्जारि = कस्तूरी मृगनाभि = मुश्क । हम्ति = तगर ( पृ०२८) अडा = प्रॉवला ( पृ० १०६) । मकंटी, वानरी = काँच ( ३४३ ) वन शुकरी = मुडी ( ४११), कुकड़ बेल = गुजराती प्रौषधि (४५६) लाल मुर्गा = हिन्दी प्रौषधि ( ५०१), चतुष्पद = भिण्डी (८८१) मांसफल = तरबूज (१०३ )
( शालिग्राम निषष्दु भूषण - ६)
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