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सांस्कृतिक संदर्भ
है तो त्याग और निर्लोभिता तो चरित्र से ही पाती है। बंधनों को काटने के लिये वंधनों से मुक्त होना जरूरी है । निश्चित रूप से महावीर का पथ जीवन का वास्तविक व्यावहारिक पथ है । चलने का साहस :
___इस पथ का दर्शन आज बहुत नहीं होता । दुर्भाग्य से महावीर के वंशज और अनुगामी कहने और कहलाने वाले जैनों में तो सबसे कम । जैनियों में आज अहिंसा है तो कायरों की, अपरिग्रह है तो वातों का और निर्भीकता और विद्रोह तो है ही नहीं । महावीर के इन अनुयायियों के जीवन को देखकर कैसे विश्वास किया जा सकता है कि इस पथ पर चलकर कुछ भी हो सकता है ? जिस पथ पर हम चल रहे हैं वह पथ तो पथ नहीं है, विपथ है । महावीर का पथ, निर्वाण का पथ तो सामने है ही। जो उस पर चलने का साहस करेगा, उस पर चलेगा वही व्यक्ति, वही जाति, वही देश, अपना कल्याण करेगा और समस्याओं को सदा के लिये हल करने में सफलता पायेगा।
महावीर अपनी इस दृष्टि और विचार के कारण वस्तुतः विश्व के विचार-क्रम के एक आवश्यक और विशेष अंग हैं। इस विचार और मूल्य के रूप में महावीर का सिद्धान्त आज भी सम्पूर्ण सार्थकता रखता है । आत्म-नियन्त्रण और आत्म-त्याग के द्वारा ही संसार का सही अर्थो में कल्याण हो सकता है और समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है ।
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