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गुट निरपेक्षता का सिद्धांन्त और महावीर का अनेकांत दृष्टिकोण
विकराल रूप में उपस्थित है । यदि ऐसा हुआ तो गुट निरपेक्षता का अनेकान्त के साथ कुछ भी सम्बन्ध नहीं जोड़ा जा सकेगा।
गुट निरपेक्षता के अतिरिक्त सहअस्तित्व, सहजीवन और पंचशील-इन सबका मूलाधार अनेकान्तवाद ही है । इसीलिए आधुनिक जगत् में विश्व मैत्री, विश्व बन्धुत्व एवं विश्व शान्ति के सबसे बड़े दूत (स्वप्न-द्रष्टा) महात्मा गांधी ने अनेकान्त को अपने जीवन का आदर्श मान लिया था। अनेकान्तवाद ने ही महात्मा गांधी को वह शक्ति दी थी कि वे विरोधियों की नजर से प्रात्मलोचन कर सके विभिन्न धर्मो, जातियों, सम्प्रदायों और राष्ट्रों को उनकी समग्रता एवं सम्पूर्णता में देख-समझ सके । द्वितीय विश्वयुद्ध के समय ब्रिटेनविरोधी देशों का साथ देने के प्रस्ताव के विरोध में महात्मा गांधी ने कहा था कि 'यदि लन्दन की धूल की कीमत पर भारत को आजादी मिली भी तो वह किस काम की ।' गांधी के इस कथन में जो अहिंसा, जो त्याग और तात्कालिक स्वार्थो की पूर्ति से जो अलगाव विद्यमान है, वह गुट निरपेक्षता के लिए आदर्श है।