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पर चक्ररत्न चमक रहा था। वह भरत की विजय को प्रदर्शित कर रहा था।
समय बहुत व्यतीत हो गया पर जैसे किसी को पता ही नहीं था। तभी विगुल फिर वज उठा। ___ सेना के कान खडे हो गए । अर्थात् सेना फिर तन उठी । तेनापतियो ने आदेश दिया। ____ "अव सेना पश्चिमी प्रदेशो की ओर पूच करेगी । अत भावधान होकर, आगे बढ़े।
सेना आगे बट चली। जिस जिस विजय प्राप्त किए हुए शामित राज्यो से होकर सेना गुजरी वहां के राजा महाराजो ने सेना का स्वागत किया। उन्हें भोजन आदि कराया गया । महाराजा भरत को पनेक भेट दी गई।
मेना पश्चिमी प्रदेशो की रीमानो पर से आगे बढ़ रही थी। सभी इन प्रदेशो के राजा महाराजानो ने सहर्ष प्राधीनता स्वीकार कर ली थी। सेना पटती ही गई । पश्चिमी प्रदेण ना तो विशाल ही ये और ना ज्यादा हो । अत अल्प समय मे ही पश्चिमी प्रदेशो को साधीन कर लिया गया। सेना पागे वटती गई।
प्रय मैना उत्तर की ओर बट रही थी । मिन्धुनदो का स्वच्छ व वेग सहित बहता हा जल भन्त की सेना के पद प्रक्षालन करने लगा। उसकी लहोने, नरगो ने नेना के हृदय में प्रसन्नता, उत्साह व उमग को लहरें तरों उत्पन्न कर दी थी।
पान्नार आदि देशो पर विजय प्राप्त हो रही थी। ना ही एक विमान पर्दन सेना के समय गाकर जमे रडा हो गया हो। उन्ना किसान पवन सि जिमने माना राम्ना पूर्णतया गेर रखा पाना सती हा मेनापति प्रादेशीनोशारे हिसारपार पा। __ गापाज पदी निश्राम हा। भरत ने अपनी मोड