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५ - वैराग्य विभूषित जीवन
शरीर की स्थिरता आयु पर आधारित है। ज्योज्यो यु वेरोप होती जाती है प्रर्यात् व्यतीत होती जाती है त्यो त्यो ही शरीर की कान्ति, शरीर का चल, और शरीर का वीर्य भी क्षीण होता जाता है। हा, ग्रायुका पूर्वाधं जनता हैर चमक जाता है, खिल उठता है, और तेज की प्राना छा जाती है। ठीक वैसे ही जैसे सूर्य का प्रात मे मध्यान्ह तक प्रभाव होता है ।
और यही समय व्यक्ति के लिये होता है कि वह अपना व पर का हित कर सके । यही समय होता है जी व्यक्ति पार्थ के शिखर पर चल सके। यह समय है कि शान
नकी उप के गम पर