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"क्या बात है?"
जी हा जो मुध नहीं।" "कहो । कहो । को नहीं।" "जी यह सुन्दरी कह रही थी ... वाह रही पी. "" "क्या कह रही थी ?"
"कि पाप से बड़ा कोई नहीं। आप किसी के भी पागे नहीं झुकते . ..."
"अोह तो • तुम क्या कहती हो?" "जी" जो" में · हा · नही ..।"
"भोली कहो को।" प्यार से भगवान आदिनाय ने दोनो फे सिर पर हाथ फेरा । फिर बोले
"वेटियो का पिता जरूर सकता है।" "किसके आगे ?" दोनो पुत्रियों ने एक साथ पूछा । "अपनी बेटियो के पति के आगे।" "अरे } } ? दोनो चौक उठी।"
"क्यो चौक क्यों गई ? यह सत्य है । ऐसा होता ही है।" कहकर आदिनाथ ने अपनी पुत्रियों के चेहरो की और देखा । दोनो विचार मग्न थी । खोई हुई थी अपने आप मे और समझ रही थी नारी के व्यक्तित्व को भी प्रादिनाथ भगवान ने पुन पूछा "कसे विचारो मे गोता लगा रही हो।"
"जी ! • श्रोह " दोनो ने नजरे झुकाली ! "बोलो बोलो।" "हम विवाह नही करेंगी" "क्यो" "जी हमारे कारण प्रापका पूज्यपना • . "भोली कही को।" बीच में ही भगवान आदिनाथ मुस्करा