________________
एक देवी जो अपने आपको महान् विद्वता से भरी पूरी मानती थी उसने (यह सोचकर कि रानी मेरे प्रश्न का उत्तर कभी भी नहीं दे सकेगो) तभी प्रश्न किया। उसने पूछा 'हे रानी, कृपया मेरे तीन प्रश्नो का उत्तर एक ही वाक्य मे दीजिये । मेरे तीन प्रश्न इस प्रकार हैं ----
(१) आपके शरीर मे गम्भीर क्या है ? (२) आपके पति को भुजाए कहाँ तक लम्बी हैं ? (३) कैनी और किस जगह पर अवगाहन करना योग्य है ?
उत्तर- रानी ने उपरोक्त तीनो प्रश्न सुने और विहनती हुई उत्तर देने ली । एक ही गपन मे
___ 'नाभिराजानुगारिक' उपरोक्त उत्तर को सुनकर देवी चकित रह गई। पुन पूछाकृपया इनका सप्टीकरण दीजिएगा। रानी ने इनको व्याख्या करते हुए बताया
नाभि, प्राजानु, गायिक, नाभिराजानुगा-अधिक । अर्थात्शरीर में गम्भीर 'नामि' है । महाराज नाभि की नुवाए आजानु (धुटनो नप्त) है। गावि पनि कम गहरे, म अर्यात् जल ने प्रवरहन योग्य है।
स प्रकार विभिन्न और ज्ञान वर्गक, गेवक प्रश्नो को पूछती हई देवि नमपस मरउनयोग कर रही थी।