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। 'अरे 11' रानी का रोम रोम नाच उठा । अपने आपको सम्हालती हुई रानी ने पुन पूछा-'किन्तु आपको कैसे ज्ञात होगया कि .. ' - - 'क्यो? जैसे जैसे तुमने स्वप्न देखे वैसे वैसे ही मैंने उसका स्वप्न-निमित्त-ज्ञान के द्वारा जान लिया ।'
'मैं अच्छी तरह न समझ सकी ।' 'तो क्या एक, एक, को समझाना होगा?' 'हाँ स्वामिन '
'तो सुनो । ऐरावत हाथी देखने से उत्तम पुत्र होगा। उत्तम बैल देखने से समस्त लोक मे उच्च होगा। सिंह देखने से अनन्त बलशाली होगा । मालामओ के देखने से समीचीन धर्म का चलाने वाला होगा।'
'अरे |
'सुनती जाओ लक्ष्मी को देखने से सुमेरु पर्वत पर देवो द्विारा अभिषेक को प्राप्त होगा। पूर्ण चन्द्रमा को देखने से समस्त 'मारिणयो को प्रानन्द देने वाला होगा । सूर्य देखने से देदीप्यमान 'प्रभा का धारक होगा। दो कलश देखने से अनेक निधियों का स्वामी होगा। । 'पाश्चर्य 11
भोली । इसमे आश्चर्य की क्या बात है । वह तो पुण्यशाली है ही पर तुम अपने आपको भी तो देखो कि जिसकी कुक्षी मे ऐमा पुण्यात्मा अवतरित हुआ है।'
'यो । मोह रानी फिर प्रानन्द सागर मे नहा गई। । हाँ तो मैं तुम्हे बता रहा था ' प्रागे नुनो युगल मछलिया
देखने से सुखी होगा । सरोवर देखने से अनेक लक्षणो से सुशोभित 'होगा । समुद्र देखने से केवली होगा । सिंहासन देखने से जगत का गुरु होगा, साम्राज्य को प्राप्त होता । देवो का विमान देखने ने