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ही सयमी (ब्राह्मण) वर्ग के लोग अहंकारी, घमण्डी, और अनैतिक आचरण के धारी हो जायेगे। ये अपने सयम का उपयोग प्रात्म ध्यान मे न कर विपरीत काम करने मे लग जायेगे । अपनी विद्वता से अनेक कदाचारी, मायाचारी शास्त्र रच-रच कर मिथ्यात्त्व के। भारी प्रचार करेगे । हिंसा को बढावा देंगे। अन्याय का पथ प्रदर्शित करेगे।
अब तेरे स्वप्नों का समाधान भो ध्यान से सुन ।
जो तूने पर्वत पर विचरते हुए तेवीस सिंह देखे हे ना, उनका फल यह जान कि महावीर स्वामी को छोडकर अन्य तेवीस तीर्थकरो के समय मे मिथ्यात से पूर्ण मतो की उत्पत्ति नहीं होगी।
दूसरा स्वप्न जो तूने देखा कि सिंह के बच्चे के पीछे हिरण का समूह है' तो इसका फल है कि-महावीर स्वामी के समय मे बहुत से कुलिंगी सन्यासी साधु हो जायेंगे जो परिग्रह भी रसेंगे।
तीसरा स्वप्न जो तूने देखा कि - हाथी के भार जैना वजन घोडे की पीठ पर है तो उसका भी यह फल जान कि- पचम काल के साधु तपश्चरण के समस्त गुरगो को धारण करने में रामयं नहीं होगे।
चौथे स्वप्न मे जो तूने देखा कि 'सूखे पत्ते वकगे का समूह खा रहा है, सो इसका फल यह है कि-भागामी काल में सदाचारी भी दुराचारी हो जायेंगे।
पानवे स्वप्न 'हाथी के कन्धे पर बन्दर देसना' का फ्त ऐसा जानो वि-प्रागे जाकर पचम काल मे हरिय कुल नष्ट हो जाएगा और दुराचारी पृथ्वी का पालन करेंगे।
कान जो तूने देखा कि-'कोदे, उल्लू को मनारहे है' सो इसका भी फल यह है कि मनुष्य धम की इच्छा से जैन