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( १२६ ) आधीन थे। इनके चोससीलाख हाथी, चौरासी लाख ही भव्य रथ थे। अठारह करोड घोडे और चौरामी करोड पैदल सेना थी। ___बत्तीन हजार देश में वहत्तर हजार नगर और छियानवे करोड गाव थे । निन्यानववे हजार तो द्रोण मुख (बन्दरगाह) थे । अड़तालीस हजार पत्तन, सोलह हजार खेट थे । छप्पन अन्तरहोप थे 1 चौदह हजार ऐसे गाव ये जो पहाडो पर बसे हुए थे।
विस्तृत और विशाल सेतो के लिए एक लाख करोड तो 'हल' थे जिनसे खेत जोते जाते थे। तीन करोड गाए थी। सातसो तो ऐसे विशाल भोर भव्य भवन थे, जिनमे सदैव रलो का व्यापार करने वाले व्यापारी ठहरा करते थे।
इनके अधिकृत अठाइस हजार वन थे । अठारह हजार म्लेच्छ राजा-महाराज भरत के सेवक थे। महाराज भरत के पास नौ निधिया थी जिनका नाम कमश काल, महाकाल, नैसर्ग्य, पाण्डुक, पद, माणव, पिंग, शख, और सर्वरत्न था। ___चौदह रत्न जिनमे सात अजीव-चक्र, छत्र, दण्ड, असि, मणि, चर्म, और काकिरणी तथा सात सजीव-सेनापति, गृहपति, हाथी, घोडा, स्नी, सिलावट और पुरोहित-पृथ्वी रक्षा और ऐश्वर्य के उपभोग करने के साधन थे।
इस प्रकार अनन्त राशि के धनी महाराज भरत आज सर्वसम्पन्न थे । अपने साठ हजार वर्ष मे छह खण्ड भू पर दिग्विजय प्राप्त की थी और आज अयोध्या वापिस आए थे।