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( १२४ ) जैसे दोनो शेर दहाडवर निड उठे। ____ अनेक प्रकार के दाव-पैच जानने वाले दोनो भाई एक दूसरे को 'चित' करने की ताफ ने मे मुतो की मार एक दूसरे पर ऐसे पड रही थी जैसे वज्र के मुन्दर बज रहे हो।
दर्शक गण वडे उत्साहित हो रहे थे। उछल रहे थे, ताली पीट रहे थे, ज्य गेल रहे थे और अपने अपने अनुभव के दाप पैच का इशारा भी कर रहे थे। दर्शक इतने तल्लीन थे कि उनके मल्ल युद्ध की क्रिया को अपने मुखो, हायो ने उठा उठाकरता मे मार रहे थे । किती फिनी ने तो पान में बैठे हुए के ही मुका 'ज दिया।
भयंकर और दिल दहला देने वाला मल्ल युद्ध मनुष्य ही देख रहे हो सो वात नही--अपितु स्वर्ग के देव भी गान-घरा से देख
रहे थे।
भरत ने कमाल का वीर्य शौर्य और बल का प्रयोग न्दिा । यद्यपि दोनो चरमशरीरी थे। पर बाहपली दिशेष भीमकाय वाले थे—अत भरत लड खडाने से लगे । पर वार वार सम्हल भी जाता । बाहुबली ने अनेक बार भरत को अवसर भी दिया पर ज्यो ही भरत सम्हलता त्यो ही वाहुबली पैच दाव लगागर भरत को बस ने कर लेते।
देखते ही देखते बाहुबली २ भरत को अपने दोनो हाथो ने पे से ऊपर उठा लिया। चारो ओर से हाहाकार नव उठा। अनेक प्रकार की प्रति ध्वनियों सुनाई देने लगी।
भरत की हार निश्चित थी। वह तिलमिला रहा ग-पर करता भी क्या? तभी बाहुवली ने भन्त को पृथ्वी पर डाल
दिया।