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॥ श्रीवीतरागाय नमः ॥
बालबोध जैनधर्म प्रथम भाग।
पहिला पाठ। णमोकार मंत्र ।
गाथा।
णमो अरहताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरीयाणं । ममो उवज्झायाणं, णमों लोए सबमाहूणं ।। १ ।।
अर्थ-- अरहन्ताको नमस्कार
अर्थ- अरहन्तोंको नमस्कार हो, सिद्धोंको नमस्कार हो, आचार्यों को नमस्कार हो, उपाध्यायोंको नमस्कार हो, और लोकमें सर्वसाधुओंको
माओं को नमस्कार हो । अहेत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, सर्वमाधु . इन पांचो " पचपरमेष्ठी" कहते है ।
गमोकार मंत्रका माहात्म्य । एसो पंच णमोयारो* सबपावप्पणागणो । मंगलाणं च सव्वेसिं पढमं होइ मंगलं ॥ २ ॥ ___ अर्थ-यह पच नमस्कार मन्त्र सब पापों का नाश अरनेवाला है और सब मगलोंम पहला मगल है।
प्रश्नावली । १-णमोकार मन्त्रको शुद्ध पदो । २-इस मात्रका क्या माहात्म्य है ? ३-इम मन्त्रमे किन किनको नमस्कार किया है ? ४-सम्मेष्ठीके नाम बताओ। * मुहरो तपा मोकारो भी पाठ हैं।