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सीमा भाग
नीम माni
जोजन लाल गयंद, बदनं नौ निगमय । उदन बढन यई दन्त, दन्न मर मंटगे । मर मर मोपणवीम, कमलिनी कानहीं।
कमलिनि, कमलिनी कमान, पचीन विराज । गजही कमलिनी कमल अटोनर-माँ मनोहर दल बने । इल दहि अपहर नहि नवग्म, हार मात्र महायने ।। मणि कनक क्रिकणि वर विचित्र. सु अमर मटप मोरये। बन घण्ट चवर ध्वजा पताका, दंग्य त्रिभुवन मोहये । ६॥
तिहि करि हरि चटि आयट र परिवाग्यिो । पुरहि प्रदन्छन देत सु जिन जगमारियां ।। गुप्त जाय जिन जननिहि" मुख निद्रा रची।
मायामय गिर्नु गखि, तो जिने आन्यो शची! आन्यो शची जिनाए निरखत, नयन नृपन न हजिये । तर परम हरपित हृदय, हग्नेि महम लोचन पृजिये ।। युनि कर प्रणाम सु प्रथम इन्द्र. उछंगधरि प्रम लीनऊ। ईशान हन्द्र मु चन्द्र छवि, सिर छत्र प्रमुके दीन ॥७॥ - मनतकुमार महेन्द्र, चमर दुई द्वारहीं।
शेष शंक जयकार, मंट उचारहीं ।। १-हाथी, २-मुग्व, ३-एकसौं, ४-आठ, -बनाये, ६-एको पच्चीम, ७-कमलोकी बेल, ८-एकमो आठ, ९-हाथीपर, १५-रिवारमदित, १५-प्रदक्षिणा, १२-प्रसूतियानमें, १३-गवान्की माताको, १४ - बालक, १५-भगवान्को, १६-इन्द्राणी, १७-हजार नत्र, १८-बनाये, १९-पहले -सौधम स्वर्गका इन्द्र, २०-गोद, २१-दूसरे स्वगके इन्द्रका नाम २२-तीसरे स्वर्गके इन्द्रका नाम, २३-चौरेस्वर्गके इन्द्र का नाम, २४-इन्द्र, २५-यान्द .,