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________________ ( ३९ ) जिसमें जीव होते हैं उसे सचित्त कहते हैं । अतएव ऐसे पदार्थको जिसमें जीव हों न खाना सचित्तत्यागप्रतिमा है। ६ रात्रिभोजनत्यागप्रतिमा-कृत कारित अनुमोदनासे और मन वचन कायसे रात्रिमें हरएक प्रकारके आहारका त्याग करना अर्थात् सूरज छिपनेके २ घड़ी पहलेसे सूरज निकलनेके २ घड़ी पीछे तक आहार पानीका बिलकुल त्याग करना, रात्रिभोजनत्यागप्रतिमा है । ___ कहीं कहींपर इस प्रतिमाका नाम दिवामैथुन त्याग प्रतिमा भी है । अर्थात् दिनमे मैथुनका त्याग करना । ७ ब्रह्मचर्यप्रतिमा-मन वचन कायसे स्त्री मात्रका त्याग करना ब्रह्मचर्यमतिमा है। ८ आरंभत्यागप्रतिमा-मन वचन कायसे और कृत कारित अनुमोदनासे गृह-कार्य संबंधी सव तरहकी क्रियाओका त्याग करना, आरंभत्यागप्रतिमा है । आरंभत्याग प्रतिमावाला स्नान दान पूजन वगैरह कर सकता है। ___९ परिग्रहत्यागप्रतिमा-धन धान्यादि परिग्रहको पापका कारणरूप जानते हुए आनंदसे उनका छोड़ना परिग्रहत्यागप्रतिमा है । १० अनुमतित्यागप्रतिमा-गृहस्थाश्रमके किसी भी कार्यका अनुमोदन नहीं करना, अनुमतित्यागप्रतिमा है । इस प्रतिमाका धारी उदासीन होकर घरमें या चैत्यालय या मठ वगैरहम वैठता है । घरपर या और जो कोई श्रावक भोजनके लिए
SR No.010158
Book TitleBalbodh Jain Dharm Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayachand Goyaliya
PublisherDaya Sudhakar Karyalaya
Publication Year
Total Pages145
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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