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272 : अपश्चिम तीर्थकर महावीर, भाग-द्वितीय
ख वाजसनेयीसंहिता (40-5) । ग ईशावास्योपनिषद् में "वदेजति तन्नेजति, तद्रे, तदन्तिके। तदनंतरस्य सर्वस्य
तदु सर्वस्यास्य बाहयतः।" यह वाक्य है। घ. वाजसनेयी संहिता (32-2) श्वेताश्वरोपनिषद् 249 और पुरूष सूक्त मे
पुरूष एवेदं सर्व यद्भूत यच्च भाव्यं उतामृतत्वस्येशानो यदन्नेनातिरोहति,
पाठ मिलता है। 40 क. विशेषावश्यक भाष्य, भाग-2, गणधरवाद, दिव्यदर्शन ट्रस्ट, बम्बई।
ख. श्रमण भगवान् महावीर, कल्याण विजय जी, पृ.54-581 41. षड्दर्शन समुच्चय, श्री हरिभद्रसूरि, सम्पा महेन्द्र जैन, प्रका भारतीय ज्ञानपीठ,
आगरा, तृ.सं. 1989, पृ.451 42. प्रमाणनय तत्वालोक, वादिदेवसूरि, प्रका. केशवलाल लल्लूभाई झवेरी,
अहमदाबाद, वि.सं. 2026, द्वितीय परिच्छेद। 43 क. स्याद्वादमञ्जरी, रचनाकार हेमचन्द्राचार्य, टीका-मल्लिषेणसूरि, प्रका.
परमश्रुत प्रभावक मण्डल, आगास, सन् 1979, सारिका 20, पृ. 194-951 ख विश्व ज्योति महावीर, उपा अमर मुनि, प्रका सन्मति ज्ञानपीठ, आगरा,
द्वि सं.संवत् 2028, पृ.31 44. श्री नंदीसूत्र, मयलगिरि वृत्ति, प्रका आगमोदय समिति, सन् 1924, पत्रांक 3-61 45. श्री गणधरवाद, विमलगणिकृत। 46. विशेषावश्यक भाष्य, भाग 2, प्रका दिव्यदर्शन ट्रस्ट, मुम्बई, वि.सं. 20391 47. आवश्यकसूत्र, मयलगिरि, द्वितीय भाग, वही, पत्रांक 327-281
छिन्नमि संसयंमी जाइजरामरणविप्पमुक्केण।
सो समणो पव्वइओ, पंचहिं सह खंडियसएहि।। गाथा 6161 48. प्रमाण मीमांसा, हेमचन्द्राचार्य, प्रका त्रिलोक रत्न स्था जैन धार्मिक परीक्षा बोर्ड,
अहमदनगर, प्र.सं. वीर सं. 2496, पृ. 291 49. तीर्थकर महावीर, भाग 1, विजयेन्द्र सूरि, पृ. 298-3061 50. अपाम सोमममृता अन्नूभागमन् ज्योतिरविदाम देवान्। किमस्मान् कृणवदरातिः
किमु धूर्तिरमृतं मृत्ये च-1ऋग्वेद संहिता 8-4, 8-3, अथर्वशिर उपनिषद्-31 51. आवश्यकसूत्र, द्वितीय भाग, मलयगिरि वृत्ति, पत्रांक 330-31} 52. भगवतीसूत्र, तृतीय विभाग, अभयदेवसूरि, आगमोदय समिति, सन् 1921, पत्राक
9091 53. त्रिषष्टिश्लाकापुरूषचारित्र, वही पृ. 1131 - 54. क रत्नाकरअवतारिका, आ रत्नप्रभ, सम्पा. दलसुखभाई मालवणिया, भाग