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अपश्चिम तीर्थकर महावीर - 87 16. (क) आवश्यक सूत्र; श्री मलयगिरि; वही; पृ. 248
(ख) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही; पृ. 5 (क) आवश्यक सूत्र; श्री मलयगिरि; वही; पृ. 248 (ख) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही; पृ. 6 (क) आवश्यक सूत्र; श्री मलयगिरि; वही; पृ. 248 (ख) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही; पृ. 6 (क) आवश्यक सूत्र; श्री मलयगिरि; वही; पृ. 248 (ख) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही; पृ. 6 (क) आवश्यक सूत्र; श्री मलयगिरी; वही; पृ. 248 (ख) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही; पृ. 6 (क) आवश्यक सूत्र: श्री मलयगिरि; वही; पृ. 248 (ख) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही; पृ. 6 (क) आवश्यक सूत्र; श्री मलयगिरि; वही; पृ. 248 (ख) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही; पृ. 6 (क) आवश्यक सूत्र; श्री मलयगिरि; वही; पृ. 248 (ख) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही; पृ. 6 (क) आवश्यक सूत्र; श्री मलयगिरि; वही; पृ. 248-49 (ख) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही; पृ. 7 (क) आवश्यक सूत्र; श्री मलयगिरि; वही; पृ. 248-49 (ख) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही; पृ. 6-7 (क) आवश्यक सूत्र; श्री मलयगिरि; वही; पृ. 240-50 (ख) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही; पृ. 7-8 (क) आवश्यक सूत्र; श्री मलयगिरि; वही; पृ. 250 (ख) कल्पसूत्र; लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय विरचित कल्पद्रुमकलिकादि टीकाओं का हिन्दी भाषान्तर; वही; पृ. 44-45
(ग) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही; पृ. 8 28. (क) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही: पृ. 8
(ख) कल्पसूत्र; लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय विरचित कल्पद्रुमकलिकादि टीकाओं का हिन्दी भाषान्तर; वही; पृ. 45 (ग) जैन कथा माला; भाग 6; मधुकर मुनिजी ने विशाखनंदी के जीव को अश्वग्रीव प्रतिवासुदेव बताया है जो संगत नहीं। सन् 2000. पृ. 28