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अपश्चिम तीर्थंकर महावीर - 83
त्रिशला- जब कोई रिश्ता आ जायेगा।
सिद्धार्थ- अच्छा! रिश्ता आने पर विवाह हेतु कुमार को तैयार करने की जिम्मेदारी तुम्हारी है।
दोनों मौन हो जाते हैं, तभी सेवक, प्रवेश करके- महाराज की जय हो! वसन्तपुर से राजा समरवीर का दूत आया है। आपके दर्शन करना चाहता है।
राजा- दूत को अन्दर बुलाओ। सेवक (दूत से)- आपको महाराज याद कर रहे हैं, चलिये ।
दूत, राजा के पास पहुंचकर- महाराज की जय हो। बसन्तपुर नरेश समरवीर ने आपकी कुशल-क्षेम पुछवाई है।
सिद्धार्थ- अच्छा! राजा समरवीर सकुशल हैं? दूत- हां, महाराज। सिद्धार्थ- क्या संदेश कहलवाया राजा समरवीर ने।
दूत- राजा समरवीर ने अपनी पुत्री यशोदा का विवाह कुमार वर्धमान के साथ करने हेतु निवेदन करवाया है। राजा को दृढ़ विश्वास है कि आप उनके निवेदन को नहीं ठुकरायेंगे इसलिए मंत्रियों के साथ यशोदा को यहां भेज दिया है। अतः आप अनुग्रह करके कुमार वर्धमान का विवाह यशोदा के साथ तय करने की कृपा कीजिए।
सिद्धार्थ, साश्चर्य- क्या यशोदा को यहां भेज दिया? दूत- हां राजन! क्या आपको रिश्ता स्वीकार्य नहीं?
सिद्धार्थ- नहीं-नहीं, ऐसी बात नहीं है। मैं स्वयं कुमार का विवाह करने में तत्पर हूं पर...... कुमार, वे भोग से... निर्लिप्त रहते हैं। काम-वासनाओं से कोसों दूर, उनको विवाह हेतु मनाना....... वड़ा कठिन है।
दूत- त. ...? सिद्धार्थ- तुम रुको, प्रयास करते हैं। सेवक दूत को यथास्थान ठहरा देता है। सिद्धार्थ- त्रिशले! अव............ क्या करना? त्रिशला- कुमार को तैयार करने का प्रयास करते हैं। त्रिशला. सेवक से-- कुमार वर्धमान के मित्रों को उपस्थित