SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 51
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अपश्चिम तीर्थंकर महावीर - 41 ताकि तीर्थंकर भगवान् अपलक उससे क्रीड़ा करते रहें। शक्रेन्द्र तदनन्तर वैश्रमण देव को बुलाता है, उसे कहता हैदेवानुप्रिय! शीघ्र ही बत्तीस करोड़ शैय्य मुद्राएं, बत्तीस करोड़ स्वर्ण मुद्राएं, सुन्दर, सुभगाकार, वर्तुलाकार लोहासन, बत्तीस भद्रासन भगवान् के जन्म-भवन में लाओ। वैश्रमण देव वैसा ही करते हैं। तब शक्रेन्द्र आभियोगिक देवों को बुलाकर कहते हैं- नगर के तिराहों, चौराहों यावत् विशाल मार्गों में घोषणा करो कि भवनपति, वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क, वैमानिक देव-देवियों, सुनो! जो कोई भगवान् अथवा उनकी मां के प्रति मन में अशुभ संकल्प करेगा उसके आजाओ की मंजरी की तरह मस्तक के सौ टुकड़े कर दिये जायेंगे। तब उन्होंने ऐसी घोषणा की। तत्पश्चात् बहुत से भवनपति, वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक भगवान् का जन्मोत्सव मनाते हैं। नन्दीश्वर द्वीप में जाकर आठ दिवस का जन्मोत्सव मनाते हैं। पुनः अपने-अपने स्थानों पर लौट जाते हैं। संदर्भः देवजन्माभिषेक, अध्याय 6 1. आचारांग; आचार्य शीलांक वृत्ति; द्वितीय श्रुत स्कन्ध; वही; पृ. 420; "दूसमसुसमाए समाए बहु विइक्कांताए पन्नहत्तरीए वासेहिं मासेहिं य अद्धनवमेहिं सेसेहिं।" (क) जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति; श्री घासीलालजी म. सा.; भाग 2; जैन शास्त्रोद्धार समिति; अहमदाबाद; सन् 1977; पंचम वक्षस्कार; पृ. 547 (ख) भगवती सूत्र; अभयदेववृत्ति; वही; शतक 25 (क) जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति: श्री घासीलालजी म. सा.; वही; पृ. 547-603 (ख) कल्पसूत्र; श्री राजेन्द्रसूरि कृत बालावबोधिनी वार्ता; वही; पृ. 77-78 (ग) आवश्यक सूत्र नियुक्ति-अवचूर्णि, प्रथम भाग; प्रका. देवचन्द लालभाई, पुस्तकोद्धार; सन् 1965; पृ. 182 (क) जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति; श्री घासीलालजी म. सा.; भाग दो; वही; पृ. 604-14 (ख) भगवती सूत्र; अभयदेववृत्ति; वही; शतक 10; उद्देशक 6
SR No.010152
Book TitleApaschim Tirthankar Mahavira Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year2005
Total Pages259
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy