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अपश्चिम तीर्थकर महावीर
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कोष : श्री रत्नचन्द्रजी महाराज; भाग 2; प्रका. सरदारमल भंडारी, राजावाड़ा चौक, इन्दौर; सन् 1927; 129
(क) त्रिषष्टि श्लाका पु. चा., पुस्तक 7 : वही; पृ. 89-92 (ख) भगवती सूत्र; अभयदेवसूरि; वही शतक 3/उद्देशक 2; पृ.
169-80
(क) आवश्यक चूर्णि; जिनदास; पृ. 316
(ख) आवश्यक चूर्णि, मलयगिरि, पृ. 294 आवश्यक चूर्णि, जिनदास;
पृ. 317
(क) सामी य इमं एवारूवं अभिग्गहं अभिगेण्हति चउव्विहं दव्वतो दव्वतो - कुंमासे सुप्प कोणेणं, खित्तओ एलुगं विक्खंभइत्ता, कालओ - नियत्तेसु भिक्खायरेसु भावतो जदि रायधूया, दासत्तणं पत्ता, णियलबद्धा, मुंडियसिरा रोयमाणी अभत्तट्टिया आवश्यक चूर्णि; जिनदास; पृ. 317
(ख) इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगेण्हइ, चउव्विहं, तंजहा - दव्वतो, खेत्ततो कालतो भावतो, दव्वतो कुम्मासे सुप्पकोणेणं, खेत्ततो एलुगं विक्खभइत्ता, कालतो नियत्तेसु भिक्खायरेसु भावतो जइ रायधूया दासत्तणं पत्ता नियलबद्धा मुंडियसिरा अट्टमभत्तिया
आवश्यक मलयगिरि, पृ. 294
(ग) एलुगं नाम गृहदेहली तां विष्कम्म्य-एकं पादं तस्या अवगिभागे एकं च परभागे / श्री हरिभद्रीयावश्यक टीप्पणकम्; देवचन्द लालभाई जैन पुस्तकोद्धारः सन् 1920: पृ. 27 ( हेमचन्द्र सूरि )
(क) भगवान महावीर का आदर्श जीवन श्री चौथमलजी म. सा.: प्रका. जैनोदय पुस्तक प्रकाशन समिति, रतलाम, वि. सं. 1989, प्र. सं. पृ. 313
(ख) भगवान महावीर एक अनुशीलन, देवेन्द्र मुनि: वही पृ. 361 (ग) एवं कप्पति, सेसं ण कप्पति- आवश्यक चूर्णि, जिनदास, पृ. 317 (घ) आवश्यक चूर्णि, मलयगिरी, पृ. 294
(ड) तो चिरकाले पण हुं पार करीश, ते सिवाय कदिपण करीश नहीं । त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; पही, पृ. 94 (क) एवं चत्तारि मासे कोसंबीए हिडति- आवश्यक चूर्णि जिनदास, प. 317
(ख) आवश्यक चूर्ण, मलयगिरि, पृ. 294