________________
6.
7.
8.
9.
10.
11.
12.
13.
14.
अपश्चिम तीर्थंकर महावीर 166
(ख) आवश्यक चूर्णि, मलयगिरि, पृ. 279-80
(क) प्रज्ञापना सूत्र / पद 6
(ख) अनपवर्तनीय आयु सोपक्रम और निरुपक्रम दोनों प्रकार की होती है । (तीव्र शस्त्र, तीव्र विष, तीव्र अग्नि आदि निमित्तों का प्राप्त होना उपक्रम है ।) दूसरे शब्दों में इस अनपवर्तनीय आयु को अकाल-मृत्यु लाने वाले अध्यवसान आदि उक्त निमित्तों का सन्निधान होता भी है और नहीं भी होता है । उक्त निमित्तों का सन्निधान होने पर भी अनपवर्तनीय आयु नियतकाल से पहले समाप्त नहीं होती । अनन्तगड दशांग; तृतीय वर्ग ।
युवाचार्यश्री मधुकरमुनिजी प्र. सं. 1981; आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर, पृ. 84
(क) विशेषावश्यक भाष्य; 1915
(ख) आवश्यक चूर्णि, मलयगिरि; पृ. 281
(ग) आवश्यक चूर्णि; जिनदास; पृ. 289 (क) विशेषावश्यक भाष्य; 1916
(ख) आवश्यक चूर्णि, मलयगिरि, पृ. 281 (क) आवश्यक चूर्णि; जिनदास; पृ. 289-90 (ख) आवश्यक चूर्णि, मलयगिरि, पृ. 281 (ग) आवश्यक हरिभद्रीया, पृ. 206
बहु कम्मं निज्जरेयव्वं लाठाविसयं वच्चामि, ते अणारिया तत्थ णिज्जरेमि, तत्थ भगवं अत्थारियदिद्वंतं हिदए करति, ततो भगवं निग्गतो लाठाविसयं पविट्ठो । आवश्यक चूर्णि; जिनदास; पृ. 290 अह दुच्चरलाठमचारी वज्जभूमिं च सुव्वभूमिं च ।
पंतं सेज्जं सेविंसु आसणगाइं चेव पंताई ।।2।। आचारांग; 1/9/3 सूरो संगामसीसे वा संवुडे तत्थ से महावीरे ।
पडिसेवमाणो फरुसाइं अचले भगवं रीयित्था । आचारांग 1 /9/3 ऐतिहासिक खोजों के आधार पर पता चला है कि वर्तमान में वीरभूमि, सिंहभूमि एवं मानभूम ( धनबाद आदि) जिले तथा पश्चिम बंगाल के तमलूक, मिदनापुर, हुगली तथा बर्दवान जिले का हिस्सा लाटदेश माना जाता था । आचारांग श्री मधुकरजी; प्रथम श्रुतस्कन्ध; 9/3; प्र. सं. 1980; पृ. 329
(क) आवश्यक चूर्णि; जिनदास पृ. 280-81 (ख) आवश्यक चूर्णि, मलयगिरि, पृ. 281