SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 161
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अपश्चिम तीर्थकर महावीर 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 16. 145 पत्तं सिस्साणं भविस्सति ? - आवश्यक चूर्णि; जिनदास; पृ. 277 (क) आव. मलयगिरी; पृ. 272 (क) तत्थ दो पंथा उज्जुगो वंकोय, जो सो उज्जुगो सो कणकखलमज्झेणं वच्चइ, वंको परिहरंतो सामी उज्जुगेण पहावितो । आवश्यक चूर्णि, मलयगिरि, पृ. 273 (ख) आवश्यक चूर्णि; जिनदास; पृ. 277-78 (ग) त्रिषष्टि श्लाका पु. चा.; पुस्तक 7; पर्व 10; पृ. 43 कनखल का अपर नाम कनकखल है । द्रष्टव्य आवश्यक चूर्णि, मलयगिरि, पृ. 273 (क) आवश्यक चूर्णि; जिनदास; पृ. 278 (ख) आवश्यक चूर्णि, मलयगिरिः पृ. 273 (ग) आवश्यक हरि, पृ. 195 (घ) महावीर चरियं नेमिचन्द (ङ) महावीर चरियं (गुण. ): 5/ 159 (च) चउप्पन्न महापुरुष चरियं त्रिषष्टि श्लाका पु. चा.; पुस्तक 7; पर्व 10; पृ. 43-27 (क) आवश्यक चूर्णि; जिनदास; पृ. 278 (ख) त्रिषष्टि श्लाका पु. चा.; पुस्तक 7; ततो चुतो कणगखले पंचण्हं तावसस्यानं आयातो, दारओ जातो, तत्थ से समावेण अतीव चंडकोवो, तत्थ चंडकोसिओत्ति णामं कतं । आवश्यक चूर्णि; जिनदास, पृ. 272 आवश्यक वृत्ति, मलयगिति = 273 (क) आवश्यक चूर्णि: पिन्वासः (ख) आवश्यक वृत्ति; त्रिषष्टि श्लाका “कुकर्म विपाल आज ३५ तीन कम न से चंडकौशिक आ वनमां दृष्टिविही पण सा थोडी द्वारे मे हडियो जैसे
SR No.010152
Book TitleApaschim Tirthankar Mahavira Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year2005
Total Pages259
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy