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सेवा में उपस्थित हुए। भगवान महावीर के दर्शनों से बिम्बसार का जीवन धन्य हो उठा। वह जैन धर्म के अनन्य सेवक बन गए। उन्होंने बड़ी तन्मयता और लगन से 'वीर संघ' की सेवा की। कहा जाता है कि बिम्बसार को सबसे अधिक भगवान महावीर के उपदेशों को सुनने का सुअवसर प्राप्त हुआ था। भगवान ने अनेक विषयों पर उपदेश देकर बिम्बसार के हृदय में ज्ञान की अलौकिक ज्योति जागृत कर दी थी।
भगवान महावीर के राजकुमार अनुयायियों में अभय और मेघकुमार आदि की जीवन-कथाएं बड़ी ही सजीव और प्रेरणाप्रद हैं । अभय श्रेणिक बिम्बसार के राजकुमार थे। वे श्रेणिक के साथ ही साथ भगवान महावीर की सेवा में उपस्थित हुआ करते थे और उनके उपदेशामृत का पान किया करते थे। भगवान के उपदेशों से अभय अत्यन्त प्रभावित हुए, फलतः वह भी भगवान महावीर के उपासक बन गए।
भगवान महावीर ने अभय के पूर्वजन्म का वृत्तान्त बताकर उनके मन की गांठ खोल दी। भगवान ने प्रकट किया कि अभय पूर्वजन्म में एक ब्राह्मण-पुत्र थे । वेदों के पठन-पाठन में उनकी बड़ी रुचि थी। फिर भी वह मूर्खताओं में फंसे रहते थे। उनमें पांच प्रकार की मूर्खताएं थीं : १. वह पाखंडी थे, २. देवताओं में अन्धविश्वास रखते थे, ३. तीर्थों में अन्ध-भक्ति रखते थे, ४. जाति-बन्धनों में जकड़े हुए थे, और ५. अपने धर्म के बड़े कट्टर थे।
एक दिन मूढ़ताओं में जकड़े हुए उस ब्राह्मण-पुत्र की एक
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