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११. स्पर्श-विरोध-हम अपनी प्रिय और इच्छित वस्तु का स्पर्श न करेंगे।
१२. चक्षु-विरोध-हम इच्छित वस्तु न देखेंगे। १३. रसना-विरोध-हम अभीप्सित वस्तु न खायेंगे। १४. घ्राण-विरोध-हम इच्छित गंध न सूपेंगे। १५. कर्ण-विरोध-हम इच्छित संगीत न सुनेंगे। १६. सम सामायिक-समभाव का पालन करेंगे। १७. चतुर्विंशतिस्तव-हम तीर्थंकरों की स्तुति करेंगे। १८. वन्दना-हम देव और गुरु को ही नमस्कार करेंगे। १६. प्रतिक्रमण । २०. प्रत्याख्यान । २१. कायोत्सर्ग। २२. केशलोच। २३. अचेलकत्व। २४. अस्नान। २५. क्षितिकायन । २६. अदन्तधावन । २७. स्थिति भोजन। २८. एक समय का भोजन ।
अनुचित और अनुपयुक्त स्थानों के परित्याग को प्रतिक्रमण कहते हैं । इच्छाओं का निरोध करना प्रत्याख्यान कहलाता है। शरीर सम्बन्धी ममत्व को दूर करने का प्रयास कायोत्सर्ग है। उपवास के पश्चात् अपने हाथों से हो केश उखाड़ने को 'केशलोच' कहते हैं ।