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________________ भगवान महावीर : एक महानतम विभूति भगवान महावीर एक महानतम विभूति थे। वह थे, हैं और सदा रहेंगे। युग आये, चले गए। युग आएंगे और चले जाएंगे, पर महावीर स्वामी की कीति-गाथा धरती पर सदैव गूंजती रहेगी। वह देवों के भी देव थे, अमरों के भी श्रद्धा-पात्र थे। देवता भी उनकी वन्दना करते थे, उनके यशोगान से अपने मनमानस को पवित्र करते थे। देवताओं के अधिपति इन्द्र भी उनके पास आकर अपनी शंकाओं का निवारण करते थे। ऋद्धियां-सिद्धियां उनके चरणों पर लोटती थीं। पर भगवान महावीर ने इन बातों को कभी महत्त्व नहीं दिया। यद्यपि अलौकिक शक्तियां उन्हें प्राप्त थीं, साथ ही उनके भीतर देवताओं की विभूतियां विद्यमान थीं, किन्तु वह उनकी ओर से आंखें मूंदकर सदा पवित्राचरण के कंटकाकीर्ण मार्ग पर चलने को ही श्रेयस्कर मानते थे। वह लोक-कल्याण के लिए निरन्तर साहसपूर्ण कदम उठाते रहे, कार्य करते रहे, अपने २७
SR No.010149
Book TitleAntim Tirthankar Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShakun Prakashan Delhi
PublisherShakun Prakashan Delhi
Publication Year1972
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size6 MB
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