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आलोकित कर रहा है। आज भी गुजरात राज्य में गिरनार पर्वत पर भगवान नेमिनाथ की मूर्ति विराजमान है और लाखों भक्तजन वहां दर्शन कर पुण्य-लाभ उठाते हैं।
भगवान पार्श्वनाथ जी का जन्म काशी में हुआ था। उनके पिता का नाम महाराज अश्वसेन और माता का नाम वामादेवी था। महाराज अश्वसेन नागवंशी नृपति थे। पार्श्वनाथ जी जन्मजात विरक्त थे। वे दिव्य-ज्ञान लेकर अवतीर्ण हुए थे। उनके हृदय में जन्मजात अलौकिक विशिष्टताएं और शक्तियां थीं। जब वह राजकुमार पद को सुशोभित कर रहे थे, एक दिन उन्होंने गंगा-तट पर एक ऐसे साधु को देखा, जो धूनी जलाकर अग्नि ताप रहा था। पार्श्वनाथ जी बोल उठे'तुम्हारी धूनी की लकड़ी में नाग-नागिन का एक जोड़ा भी जल रहा है।" साधु पार्श्वनाथ जी पर क्रुद्ध हो उठा। किन्तु जब उसने उस लकड़ी को चीरकर देखा, तो सचमुच उसके भीतर नाग-नागिन का एक जोड़ा मौजूद था।
उन्होंने लगभग सत्तर वर्षों तक, सारे भारत में घूम-घूमकर अहिंसा का प्रचार किया था। सौ वर्ष की अवस्था में उन्हें महा-निर्वाण प्राप्त हुआ। बिहार राज्य में पारसनाथ नाम से एक पर्वत है, जहां भगवान पार्श्वनाथ तथा अन्य अठारह तीर्थकर मोक्ष को प्राप्त हुए हैं। यह स्थल आज बड़ा तीर्थ बन गया है । हजारों-लाखों लोग इस तीर्थ की वन्दना करने देश-विदेश के कोने-कोने से आते हैं और पहाड़ी पर बने मन्दिरों में भगवान के चरणों को प्रणाम कर अपना जीवन सफल बनाते हैं । इस
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