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________________ अधिक जानकारी मिलती है। उनके नाम हैं तीर्थंकर नेमिनाथ, पार्श्वनाथ तथा महावीर स्वामी। भगवान नेमिनाथ का जन्म शौरोपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम समुद्रविजय और माता का नाम शिवा था। समुद्रविजय यदुवंश के प्रतापी नृपति थे। उनका प्रताप और शौर्य दिग्-दिगन्त में व्याप्त था। भगवान नेमिनाथ विवाह के अवसर पर ही विरक्त हो गए थे। इस सम्बन्ध में एक प्राण-प्रेरक घटना का उल्लेख मिलता है। भगवान नेमिनाथ जी का विवाह उग्रसेन की पुत्री राजमती के साथ होने जा रहा था। बारात श्वसुरगृह की ओर जा रही थी। अरिष्ट नेमिनाथ जी वर के रूप में थे। सहसा मार्ग में उन्हें पशुओं की करुणा से भरी हुई चीत्कार सुनाई पड़ी। उन्होंने अपने सारथि से प्रश्न किया-"सारथि, यह कैसी करुण चीत्कार है ?" सारथि ने उत्तर दिया-"महाराज, यह उन पशुओं की करुण चीत्कार है, जिनका मांस बारातियों को परोसा जाएगा।" नेमिनाथ जी का हृदय दुःख से भर उठा। उन्होंने आज्ञा देकर उन पशुओं को मुक्त करा दिया। पर इस घटना ने उनके हृदय-प्राणों को आन्दोलित कर दिया। संसार की बीभत्सता का चित्र उनकी आंखों के सम्मुख चित्रित हो गया। उन्होंने विवाहबंधन में बंधना अस्वीकार कर दिया। वह मोह और आसक्ति के संपूर्ण बंधनों को तोड़कर घर से निकल गए। उन्होने गिरनार पर्वत पर कठोर तप करके दिव्य-ज्ञान प्राप्त किया। उनका दिव्य-ज्ञान आज भी जन-जन के मानस को अपनी ज्योति से २४
SR No.010149
Book TitleAntim Tirthankar Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShakun Prakashan Delhi
PublisherShakun Prakashan Delhi
Publication Year1972
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size6 MB
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