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विचार करते-करते, मनुष्य की बुद्धि-शक्ति की मर्यादा का, अपूर्णता का एव उसके अहभाव का खयाल आये विना नहीं रह सकता।
वैज्ञानिक खोज करते समय मनुष्य को एक हल-निराकरण (Solution) मिलते ही वह ग्युगी मे फूल उठता है और अपनी उस खोज की प्रसिद्धि के लिये वह अपने साथियो तथा अनुयायियो की मदद से बडे जोरशोर से नगाडे पीटना शुरू कर देता है।
आध्यात्मिक क्षेत्र में भी, अनादिकाल से ठीक ऐसा ही होता आ रहा है । कोई-कोई साधक, यात्म-साधना के लिये मत्र, जाप, योग या ध्यान आदि मे से किमी एक मार्ग को अपना लेता है। यदि किसी को प्रकाश का एक वृत्त दिखाई देता है कि तुरन्त ही वह "आत्मसाक्षात्कार हो गया" यह समझकर पद्मासन का त्याग कर देता है। किसी की मानसिक शक्ति, योगवल से बढ जाने के कारण कुछ चमत्कार दिखाना प्रारभ कर दे तो 'अव सशोधन का अन्त आ गया है' यह समझकर वह नाचने लगता है। _ 'Heroworship' 'वीरपूजा' मानव-स्वभाव की सहज विशेषता है। यदि कोई व्यक्ति कुछ नया कर दिखाये, कुछ चमत्कारपूर्ण कार्य करके दिखाये या कुछ सिद्धियो का प्रदर्शन करे तो शीघ्र ही अनुयायियो का एक वडा समूह उसके चारो ओर एकत्रित हो जाता है। मनुष्य स्वभाव की एक दूसरी विशेषता 'अतिशयोक्ति' करने की है। देखी हुई