________________
फलत. कई वर्षों के वाद, कलम का सहारा लेकर आज मुझे कुछ लिखने का सुअवसर प्राप्त हुआ है। मन-ही-मन श्री जिनेश्वर भगवान् को और पूज्य गुरु महाराज को वंदन करके मैं अपना वह प्रयत्न प्रारंभ करता हूँ परिणाम ? ___पाठकवर्ग तथा भविष्य ही इसका निर्णय करेगे । मेरी आप लोगो से इतनी ही प्रार्थना है कि आगे के प्रकरणो मे जो कुछ भी लिखा गया है उसका धैर्य, लगन और समभाव से अध्ययन करे।