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परनात्मा के एक साकार स्वरूप के तौर पर सद्गुत का आलत ग्रहण करेगे तो उससे अवश्य हमें बडा भारी लाभ होगा । हम अपने को उच्च भूमिका पर चढ़ाने का और नीचे गिरने से अटकाने का कार्य योग गुरु की सहायता से ही कर सक्ते हैं |
यहाँ हमने र्न, कर्म के स्वरूप तथा कर्म के परिणान आदि का सामान्य परिचय प्राप्त कर लिया है । इस विषय में अधिक जिज्ञासा वय जागत होगी । इसके लिए भी सदगुरु रूप तज्न (विशेषज्ञ) एवं सत पुरुष का सत्सग सावता यावव्यक है | यदि हमने निकलेंगे तो अवश्य प्राप्ति होगी ।
इस विषय की गहराई ने उतरने की बात अपने अन्तःकरण मे अक्ति करके अब हम आगे बडे