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२७७ व्यवहार मे जिन्हे हम 'ज्ञानी' कह कर पुकारते है उनमे से अधिकाश तो-Encyclopedia - जानकारी के भडार के अतिरिक्त और कुछ नही होते । जो कुछ उनके पास होता है वह ज्ञान नहीं बल्कि केवल Information-~जानकारी होती है, सो भी पुस्तकाकार प्रकाशित Encyclopedia -विश्वकोष (सग्रहग्रन्थ) की तुलना मे अल्प-अत्यल्प होती है। हम 'ज्ञान' के नाम से अभिहित बहुत सारी जानकारी एकत्रित करे और उसका अमल-आचरण करने के नाम पर-क्रिया के सम्बन्ध मे-केवल शून्य ही हो तो हमे अपनी इस सारी मेहनत से क्या लाभ होगा? कुछ भी नही । - इसीलिए सत्पुरुप कह गये है कि "व्यवहार मे जिसे ज्ञान माना जाता है, उस ज्ञान के 'सिन्धु' की अपेक्षा 'अनुभव का बिन्दु' अधिक महान है।"
इसलिए हमे अपने हेतु की सिद्धि के लिए जो ज्ञान पसद करना है, वह ज्ञान हमे 'प्रत्यक्ष अनुभव' की ओर ले जा सके ऐसा सच्चा-सम्यक् होना चाहिए। इस ज्ञान की प्राप्ति की ओर जाने वाले मार्गों के चुनाव में भी हमे सच्चे मार्ग का अवलम्बन करना चाहिए। हमारा उद्देश्य भी विशुद्ध, उदात्त और पारमार्थिक होना चाहिए। अव, विवेकपूर्वक विचार करने पर प्रतीत होगा कि -- .
सच्चा ज्ञान अर्थात् 'अनेकान्त तत्त्वविज्ञान ।' सच्चा मार्ग अर्थात् 'स्यावाद ।' सच्चा हेतु अर्थात् 'यात्मा के स्वरूप का प्रत्यक्ष अनुभव ।' + + + +