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चतुष्टय वन जाता है, और अभियुक्त के लिए जो स्वचतुष्टय है वह खून के विषय मे परचतुष्टय बन जाता है। __अव जिसका खून हुमा है सो हुआ ही है । खून हुआ है यह एक तथ्य है। यह वात एक निश्चित तथ्य के रूप में प्रस्तुत की गई है । अव प्रश्न अभियुक्त के बचाव का है । उसका वचाव वैरिस्टर चक्रवर्ती के हाथ मे है । उनके सामने फरियाद-पक्ष के सरकारी वकील है । वे दोनो मिलकर, आमने सामने खडे रह कर न्यायाधीश के सम्मुख यह केस चलाने वाले है, अपनी अपनी बात पेश करने वाले है । इस केस मे फरियाद-पक्ष तथा वचाव पक्ष की ओर से गवाह भी आएंगे। केस के समय ज्यूरी के सदस्य भी उपस्थित रहेगे।। ___न्याय-फैसला-करने का कार्य न्यायाधीश महोदय को करना है । इससे पहले वे ज्यूरी की राय भी प्राप्त करेंगे। वे महाशय इस केस की समस्त कार्यवाही के समय अपने मदा के स्वभावानुसार तटस्थता धारण करके बैठेगे । फरियाद-पक्ष यह सिद्ध करने का प्रयत्न करेगा कि अभियुक्त ने खून किया है । बैरिस्टर चक्रवर्ती यह सिद्ध करने के लिए कि अभियुक्त निर्दोष है, अपनी पूरी ताकत लगा देगे । इन सब मे क्या सत्य है, इस वात का निर्णय करके निष्पक्ष फैसला सुनाने का कार्य अन्त मे न्यायाधीश महोदय को करना है। ___ अब हम यह देखेंगे कि केस की कार्रवाई के दर्मियान न्यायाधीश महोदय के सम्मुख कैसे भिन्न-भिन्न चित्र उपस्थित होते है। (१) फरियादी पक्ष की ओर से प्रस्तुत अभियोगपत्र
से यह अभिप्राय प्रकट होता है कि 'अभियुक्त दोषी है।